परमाणु त्रयी क्षमता पूरा करने की दिशा में कदम आगे बढ़ाते हुए भारत ने
बंगाल की खाड़ी में पानी के नीचे स्थित एक प्लेटफार्म से करीब 1500
किलोमीटर की मारक क्षमता एवं परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम एक बैलेस्टिक
मिसाइल का सफल परीक्षण किया.
परमाणु त्रयी पूरा होने से भारत परमाणु आयुध ले जाने वाली मिसाइलें जमीन, हवा और समुद्र से दागने में सक्षम हो जाएगी. अंडरवाटर श्रेणी में यह पहली मिसाइल है जिसका विकास पूर्ण रूप से भारत की ओर से किया गया है. इस मिसाइल को पनडुब्बी से भी दागा जा सकता है.
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) प्रमुख वी के सारस्वत ने कहा कि मध्यम दूरी की मारक क्षमता वाली के-5 बैलेस्टिक मिसाइल का पानी के नीचे स्थित पैंटून से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया और परीक्षण के सभी मापदंड हासिल हुए.
अधिकारियों ने कहा कि इस मिसाइल के 10 से अधिक परीक्षण पहले हो चुके हैं. के-5 का का परीक्षण आखिरी था. अमेरिका, फ्रांस, रूस और चीन सहित कुछ चुनिंदा देशों के पास ही इस तरह की मिसाइल क्षमता है.
सारस्वत ने कहा कि के.5 मिसाइल के विकास का चरण पूरा हो चुका है और यह विभिन्न प्लेटफार्म पर तैनात करने के लिए तैयार है. इसमें करीब छह हजार टन वजनी स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत भी शामिल है जिसका निमार्ण जारी है. के-5 अंडरवाटर मिसाइलों के उस विशिष्ट समूह का हिस्सा है जिसका विकास डीआरडीओ भारतीय सामरिक बलों के लिए पानी के नीचे स्थित प्लेटफार्म से दागने के लिए कर रहा है.
के-5 बैलेस्टिक मिसाइल को बीओ-5 के नाम से भी जाना जाता है. इसका विकास डीआरडीओ के हैदराबाद स्थित रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल) ने किया गया है.
यह मिसाइल भारत को पानी के नीचे से परमाणु मुखास्त्र से लैस मिसाइल दागने की क्षमता हासिल करने में मदद करेगा. अभी तक भारत के पास जमीन और आकाश स्थित प्लेटफार्म से ही परमाणु हथियार दागने की क्षमता है.
भारत पानी के नीचे से दागे जाने वाली दो और मिसाइलों का विकास कर रहा है जिसमें के-15 और ब्रह्मोस शामिल है. इन दोनों मिसाइलों की मारक क्षमता क्रमश: 750 किलोमीटर और 290 किलोमीटर है.
भारत ने गत 19 अप्रैल को परमाणु मुखास्त्र ले जाने में सक्षम अग्नि-5 अंतरमहाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया था. इसके साथ ही भारत यह क्षमता हासिल कर विश्व के कुछ चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया था.
मिसाइल की मारक क्षमता पांच हजार किलोमीटर से अधिक है. इससे चीन भारत की मारक क्षमता के दायरे में आ गया है. यह मिसाइल भारत को पूर्वी यूरोप, पूर्वी अफ्रीका और आस्ट्रेलियाई तट के लक्ष्यों को भेदने की क्षमता प्रदान करता है.
परमाणु त्रयी पूरा होने से भारत परमाणु आयुध ले जाने वाली मिसाइलें जमीन, हवा और समुद्र से दागने में सक्षम हो जाएगी. अंडरवाटर श्रेणी में यह पहली मिसाइल है जिसका विकास पूर्ण रूप से भारत की ओर से किया गया है. इस मिसाइल को पनडुब्बी से भी दागा जा सकता है.
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) प्रमुख वी के सारस्वत ने कहा कि मध्यम दूरी की मारक क्षमता वाली के-5 बैलेस्टिक मिसाइल का पानी के नीचे स्थित पैंटून से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया और परीक्षण के सभी मापदंड हासिल हुए.
अधिकारियों ने कहा कि इस मिसाइल के 10 से अधिक परीक्षण पहले हो चुके हैं. के-5 का का परीक्षण आखिरी था. अमेरिका, फ्रांस, रूस और चीन सहित कुछ चुनिंदा देशों के पास ही इस तरह की मिसाइल क्षमता है.
सारस्वत ने कहा कि के.5 मिसाइल के विकास का चरण पूरा हो चुका है और यह विभिन्न प्लेटफार्म पर तैनात करने के लिए तैयार है. इसमें करीब छह हजार टन वजनी स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत भी शामिल है जिसका निमार्ण जारी है. के-5 अंडरवाटर मिसाइलों के उस विशिष्ट समूह का हिस्सा है जिसका विकास डीआरडीओ भारतीय सामरिक बलों के लिए पानी के नीचे स्थित प्लेटफार्म से दागने के लिए कर रहा है.
के-5 बैलेस्टिक मिसाइल को बीओ-5 के नाम से भी जाना जाता है. इसका विकास डीआरडीओ के हैदराबाद स्थित रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल) ने किया गया है.
यह मिसाइल भारत को पानी के नीचे से परमाणु मुखास्त्र से लैस मिसाइल दागने की क्षमता हासिल करने में मदद करेगा. अभी तक भारत के पास जमीन और आकाश स्थित प्लेटफार्म से ही परमाणु हथियार दागने की क्षमता है.
भारत पानी के नीचे से दागे जाने वाली दो और मिसाइलों का विकास कर रहा है जिसमें के-15 और ब्रह्मोस शामिल है. इन दोनों मिसाइलों की मारक क्षमता क्रमश: 750 किलोमीटर और 290 किलोमीटर है.
भारत ने गत 19 अप्रैल को परमाणु मुखास्त्र ले जाने में सक्षम अग्नि-5 अंतरमहाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया था. इसके साथ ही भारत यह क्षमता हासिल कर विश्व के कुछ चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया था.
मिसाइल की मारक क्षमता पांच हजार किलोमीटर से अधिक है. इससे चीन भारत की मारक क्षमता के दायरे में आ गया है. यह मिसाइल भारत को पूर्वी यूरोप, पूर्वी अफ्रीका और आस्ट्रेलियाई तट के लक्ष्यों को भेदने की क्षमता प्रदान करता है.
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